
राजीव गांधी हत्याकांड में पेरारिवलन और अन्य दोषियों की रिहाई के लिए राज्य सरकार की सिफारिश राज्यपाल के पास लंबित है (PTI)
राजीव गांधी हत्याकांड (Rajiv Gandhi Assassination Case) में पेरारिवलन (AG Perarivalan) और अन्य दोषियों की रिहाई के लिए राज्य सरकार की सिफारिश राज्यपाल के पास लंबित है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हत्यारे पेरारिवलन की दया याचिका राज्यपाल के पास दो साल से लंबित रहने पर नाराजगी जताई थी.
- News18Hindi
- Last Updated:
November 23, 2020, 12:55 PM IST
राजीव गांधी हत्याकांड में पेरारिवलन और अन्य दोषियों की रिहाई के लिए राज्य सरकार की सिफारिश राज्यपाल के पास लंबित है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हत्यारे पेरारिवलन की दया याचिका राज्यपाल के पास दो साल से लंबित रहने पर नाराजगी जताई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग नहीं करना चाहते हैं. लेकिन हम इस बात से खुश नहीं हैं कि यह सिफारिश दो साल से लंबित है. कोर्ट ने कहा कि हमें बताया जाए कि कानून और मामले क्या हैं, जो हमें ऐसा करने की अनुमति दे सकते हैं.
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वहीं, CBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि पेरारिवलन को रिहा करने की कोशिश में उसकी कोई भूमिका नहीं है. यह तमिलनाडु के राज्यपाल और याचिकाकर्ता के बीच एक मुद्दा है और सीबीआई की इसमें कोई भूमिका नहीं है. जांच एजेंसी का कहना है कि मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी पेरारिवलन की भूमिका की जांच नहीं कर रही, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा की पुष्टि की है.बता दें कि 21 मई 1991 को रात 10.21 बजे तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में हुए एक आत्मघाती धमाके में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौत हुई थी. चुनावी सभा में धमाका करने वाली महिला की पहचान धनु के रूप में हुई. इस विस्फोट में धनु सहित 14 अन्य लोग भी मारे गए थे.
इस हत्याकांड के सिलसिले में वी. श्रीहरण उर्फ मुरुगन, टी. सतेंद्रराजा उर्फ संथन, एजी पेरारिवलन उर्फ अरिवु, जयकुमार, रॉबर्ट पायस, पी. रविचंद्रन और नलिनी 27 साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं.
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शीर्ष अदालत ने 18 फरवरी, 2014 को तीन दोषियों- मुरुगन, संथम और पेरारिवलन- की मौत की सजा उम्र कैद में तब्दील कर दी थी क्योंकि उनकी दया याचिकाओं पर फैसला लेने में अत्यधिक देरी हुई थी.