
भूपिंदर सिंह मान का आंदोलन कर रहे किसान शुरू से ही विरोध कर रहे हैं. (फोटो साभार : facebook.com/bhupindersinghmann)
किसान आंदोलन में शामिल कीर्ति किसान यूनियन के उपाध्यक्ष एवं किसान नेता राजिंदर सिंह ने न्यूज 18 हिंदी (डिजिटल) से बातचीत में कहा कि भूपिंदर सिंह मान को पहले भारतीय किसान यूनियन की तरफ से संगठन से निकाला गया. उसके बाद ही उन्होंने पंजाब एवं किसानों में बड़े पैमानों पर उनके प्रति नाराज़गी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित 4 सदस्यीय कमेटी से अपना नाम वापस ले लिया.
- News18Hindi
- Last Updated:
January 14, 2021, 4:28 PM IST
किसानों की नाराजगी के चलते आया फैसला
दरअसल, सरदार भूपिंदर सिंह मान का यह फैसला किसानों की नाराजगी के चलते आया है. किसान आंदोलन में शामिल कीर्ति किसान यूनियन के उपाध्यक्ष एवं किसान नेता राजिंदर सिंह ने न्यूज 18 हिंदी (डिजिटल) से बातचीत में कहा कि हमारा रुख पहले से ही साफ है कि हम किसी भी कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे. हम इन तीनों कानूनों को वापस लिए जाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा दिए जाने की मांग पर अडिग हैं और उससे कम कोई बात मानने को तैयार नहीं हैं.
मान को उनके संगठन ने ही निकाल दिया- किसान नेता राजिंदर सिंहराजिंदर सिंह ने बताया कि भूपिंदर सिंह मान को पहले भारतीय किसान यूनियन की तरफ से संगठन से निकाला गया. उसके बाद ही उन्होंने पंजाब एवं किसानों में बड़े पैमानों पर उनके प्रति नाराज़गी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित 4 सदस्यीय कमेटी से अपना नाम वापस ले लिया.
कृषि मंत्री तोमर से मिल, पत्र लिख किया था कानून का समर्थन
बता दें कि ऑल इंडिया किसान कॉर्डिनेशन कमेटी के प्रमुख भूपिंदर सिंह मान ने बीते दिसंबर महीने में ही कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर नए कानूनों का समर्थन कर दिया था. पिछले महीने मान ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को खत लिखकर कुछ मांगें सामने रखी थीं. उन्होंने लिखा था, ‘हम उन कानूनों के पक्ष में सरकार का समर्थन करने के लिए आगे आए हैं. हम जानते हैं कि उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों में एवं विशेषकर दिल्ली में जारी किसान आंदोलन में शामिल कुछ तत्व इन कृषि कानूनों के बारे में किसानों में गलतफहमियां पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.’
किसान आंदोलन के नेताओं की मुखालफत की थी
मान ने अपनी चिट्ठी में आगे लिखा था, “अथक प्रयासों व लंबे संघर्षों के फलस्वरूप आजादी की जो सुबह किसानों के जीवन में क्षितिज पर दिखाई दे रही है, आज उसकी सुबह को पुन: अंधेरी रात में बदलने के लिए कुछ तत्व आगे आए हैं और वह सब किसानों में गलतफहमियां पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.”
मान ने कहा था, हम तीनों कानूनों के पक्ष में हैं…
मान ने यह भी कहा था कि हम मीडिया से भी मिलकर इस बात को स्पष्ट करना चाहते हैं कि देश के अलग-अलग हिस्सों के किसान सरकार द्वारा पारित तीनों कानूनों के के पक्ष में हैं. हम पुरानी मंडी प्रणाली से क्षुब्ध व पीड़ित रहे हैं और यह कतई नहीं चाहते कि किसी भी सूरते हाल में शोषण की वही व्यवस्था किसानों पर लादी जाएं.”
संगठन और पंजाब में मान की छवि को पुहंचा खासा नुकसान
भूपिंदर सिंह मान के इसी रुख को देखते हुए आंदोलन कर रहे किसान शुरू से ही विरोध कर रहे हैं. बताया जा रह है कि उनके खुद के संगठन में उनके इस रुख को लेकर नाराजगी थी. संगठन सदस्य कृषि कानूनों पर भूपिंदर सिंह मान के तर्कों से सहमत नहीं थे. यहां तक की सिंघु बॉर्डर पर बड़े पैमाने पर बैठे किसान भी खुलकर मान का विरोध करते आ रहे हैं. इस तरह पंजाब भी व्यापक तौर पर उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है.